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"अर्थशास्त्र से मानव कल्याण तक : विकास, विषमता और नैतिकता का नया दृष्टिकोण"
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन को विशिष्ट महत्त्व प्रदान किए जाने का मुख्य कारण यह है कि उन्होंने अर्थशास्त्र को मनुष्य के कल्याण का साधन बनाने के उद्देश्य से जोड़ा और इसके विविध पैमाने भी तैयार किए। इससे पूर्व अर्थशास्त्र को मात्र धन-संपदा का अध्ययन माना जाता था, उन्होंने उसे पहली बार दर्शन और नैतिकता की दिशा में उन्मुख किया। इसके लिए उन्होंने स्वयं तो दर्शन शास्त्र का गहरा अध्ययन किया ही, उसे अर्थशास्त्र के साथ पढ़ाना भी-विशेष रूप से अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में-आरम्भ किया।
मूल सिद्धान्तों के गणितीय निर्माण और विकास के साथ-साथ उन्होंने इसके व्यावहारिक पक्ष-राष्ट्रीय आय, नौकरियाँ, विषमता और ग़रीबी आदि की गणना और मापन को भी बहुत दूर तक विकसित किया है। यह पुस्तक विषय के मूल सिद्धान्तों को तकनीकी और ग़ैर-तकनीकी दोनों ही ढंग से बहुत सफलतापूर्वक प्रस्तुत करती है। यह वह बीजरूपी आधार है जिस पर उनके कल्याणकारी अर्थशास्त्र का विशाल वटवृक्ष खड़ा है।
विकासशील देशों के लिए प्रो. अमर्त्य सेन के विचार और उन पर आधारित योजनाएँ विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। यह रचना दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध हुई है।
‘‘बहुत कम ऐसा होता है कि इतनी छोटी पुस्तक अपने विषय का इतना समग्र विवेचन प्रस्तुत कर सके-जैसा आर्थिक विषमता के महत्त्वपूर्ण विषय का इस रचना ने किया है।’’
– इकानामिस्ट
‘‘लेखक का दिमाग़ सर्चलाइट की तरह काम करता है और पुरानी स्थापित धारणाओं का खंडन करता चलता है।’’
– लंदन रिव्यू आफ बुक्स
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